By मबीजो चिरशा, World BEYOND Warजुलाई, 31, 2020
मेरा पाँयती पैठ
इसकी कविताएँ लाइबेरिया में गरीबी छीन चुकी विधवाओं की हैं।
इसके प्रतीक गाम्बिया के मोर्चरी स्लैब पर जमने वाले कत्लखानों के हैं
इसकी कल्पना नाइजीरिया में बम रोने के भीतर स्वतंत्रता प्राप्ति की है
इसकी आवाज़ इरीट्रिया में माताओं के गरीबी से प्रभावित स्तनों की है
इसका आश्चर्य इथियोपिया में भूख से पीड़ित बच्चों को है
इसकी गूंज युद्ध के कारण अनाथों के लिए खुदाई और भविष्य के सोमालिया के उबड़-खाबड़ इलाकों में है
मेरी दर्द भरी शायरी
इसके मायने लीबिया में जातीय जनजातियों के रोने के हैं
इसकी आवाज नामीबिया में बैंकों के पेट में कराहने की है
इसकी त्रासदी जाम्बिया की गलियों में घृणित सामग्री सीज पाइपों की है
इसके रूपक कतांगा की घाटियों में बिखरते हुए मच्छर हैं
इसके उपजी तंजानिया में पीड़ितों की खून से सनी दीवारें हैं
इसके आबंटन रवांडा के गलियारों में नरसंहार और अत्याचार के हैं
इसकी प्रतिध्वनि बुरुंडियन ड्राइव में कसाई और कातिलों की है
मेरी दर्द भरी शायरी
इसकी हरा दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद विस्फोट है
इसका रूपक जिम्बाब्वे में पोवो के रोने का है
इसका व्यंग्य मोज़ाम्बिक के गाँवों में होने वाली भित्तियों का है
इसकी विडंबना अंगोला में हीरे और रैलियों का बार्टर एक्सचेंज है
इसका प्रतीक अल्जीरिया में संस्कृतियों का मरना है
मेरी दर्द भरी शायरी दर्द भरी है और कभी खूबसूरत नहीं