By मबीजो चिरशा, World BEYOND War, जून 14, 2020.
राक्षस चरा रहे हैं I
लोकतंत्र रंगभेद के सिफलिस को ठीक नहीं करता है यह नस्लवाद के हेपेटाइटिस को कभी ठीक नहीं करता है
यह शासितों का शासन करने का संस्कार है
यद्यपि वे शासित रहते हैं
लोकतंत्र, भ्रष्ट विद्वान लोकतंत्र का एक शब्द, गोली का एक कण
मतपत्र पर हस्ताक्षर
बिच्छू का डंक
दारफुर के पेट में खून खौल रहा है
दारफुर तुम्हें नागासाकी की गंध आती है
कांगो के कठोर चट्टानी नितंबों से खून निकलता हुआ
कांगो तुम बगदाद को डंक मारते हो
सोमालिया में भूख से स्तनों का अश्लील चित्रण
मंत्रियों के पेट लटक रहे हैं
झुग्गियों और बस्तियों में बिखरी कविता
शब्द बुलेट और बैलेट के बीच सिला हुआ है
व्याकरण में नारा और अश्लीलता के बीच विराम लगा हुआ है
लोकतंत्र अबाचा की तलवार और मदीबा की बाइबिल का विरोधाभास है
ग्वांतानामो खाड़ी और रॉबिन द्वीप की अतिशयोक्ति
राक्षस चराई द्वितीय
लोकतंत्र
रंगभेदी आँतों से निकली आज़ादी
एक ऐसी विरासत जो चिल्लाने वाले लंगूरों के दिनों से ही दुखों को ढोती रही है
और कुत्ते चिल्ला रहे हैं
अंधविश्वासों में खून की फलियां खिल रही मोनरोविया
रक्त संचयन का
राजनीतिक आराम क्षेत्रों के पूर्व में मगरमच्छ आराम फरमा रहे हैं
आजादी के लिए जलते दिल वाले अफगान
राजनीतिक जंगलों में दूसरे लंगूरों को हंसाते लंगूर
राजनेता गरीबी को अपने पैरों तले कुचल रहे हैं
रोबोट की चकाचौंध और इंद्रधनुषी मीठी बातों से सड़कों को चमकाना।